कोरबा ( दैनिक छत्तीसगढ़ वाणी)
नगर पालिक निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर ने आंशिक रूप से महापौर की जाति प्रमाण पत्र निलंबित कर दिया था महापौर ने कलेक्टर के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी हाईकोर्ट ने प्रदेश स्तरीय छानबीन समिति को जाति प्रमाण पत्र जांच करने का निर्देश दिया था इसी संदर्भ में कल आदिमजाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है।
अनुविभागीय अधिकारी कोरबा द्वारा 6 दिसंबर 2019 को राजकिशोर प्रसाद के पक्ष में ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र जारी किया गया था।
उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति अनुसार इस प्रकरण में विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, गवाहों के कथन व प्रस्तुत दस्तावेजों के परीक्षण तथा विस्तृत विवेचना से स्पष्ट है कि धारक अपनी सामाजिक प्रास्थिति को प्रमाणित करने में असफल रहे। अतः न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी कोरबा से 6 दिसंबर 2019 को जारी ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी समाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं करने का कोई कारण नहीं है। छानबीन समिति ने धारक द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजी साक्ष्य, अभिलेखों के विश्लेषण करने के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रासिथति के प्रमाणीकरण का विनियमन)अधिनियम 2013 के अधीन विनिर्मित नियम के प्रावधानों के अनुसार न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी कोरबा से राजकिशोर प्रसाद के पक्ष में जारी ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाता है। नियम 2013 और अन्य सुसंगत प्रावधान के अनुसार कार्यवाही किए जाने के लिए कलेक्टर कोरबा को प्राधिकृत किया गया है।