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भारत के चंद्रयान -3 के बारे में जानिए क्या हैं नई खोज जानिए पूरी ख़बर…..

दैनिक छत्तीसगढ़ वाणी , नई दिल्ली: भारत में चंद्रयान-4 मिशन पर सरकार की मुहर लग गई है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इसी बीच चंद्रयान-3 ने भी काम जारी रखने के संकेत दे दिए हैं। सितंबर 2023 में गहरी नींद में गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर एक साल बात भी काम में जुटे हुए हैं और जानकारियां धरती तक पहुंचा रहे हैं। खबर है कि अब प्रज्ञान ने चांद सतह पर एक विशाल क्रेटर की खोज की है। चांद के दक्षिणी ध्रुव से प्रज्ञान की तरफ से भेजे गए डेटे से नए प्राचीन क्रेटर के बारे में पता चला है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह क्रेटर 160 किमी चौड़ा है। कहा जा रहा है कि यह चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के पास ही है। इससे जुड़ी जानकारियां अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों की तरफ से प्रकाशित साइंस डायरेक्ट में मौजूद हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रह है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से भी पहले बन गया होगा। खास बात है कि साउथ पोल-एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर की तरफ से ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर के ढांचे के बारे में भी जानकारियां मिली हैं, जिससे चांद के बारे में कई अहम सुराग मिल सकते हैं। खबर है कि क्रेटर समेत प्रज्ञान रोवर की तरफ से मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ा दिया है। इस क्रेटर की जानकारी चांद के शुरुआती इतिहास और इसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आकार दे सकती है। चंद्रयान-3 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था। इसके बाद 23 अगस्त को इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी। ऐसा करने वाला भारत दुनिया के एलीट 4 देशों की सूची में शामिल हो गया था। इससे पहले यह कारनामा अमेरिका, रूस और चीन ने किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रह है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से भी पहले बन गया होगा। खास बात है कि साउथ पोल-एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर की तरफ से ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर के ढांचे के बारे में भी जानकारियां मिली हैं, जिससे चांद के बारे में कई अहम सुराग मिल सकते हैं। खबर है कि क्रेटर समेत प्रज्ञान रोवर की तरफ से मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ा दिया है। इस क्रेटर की जानकारी चांद के शुरुआती इतिहास और इसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आकार दे सकती है। चंद्रयान-3 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था। इसके बाद 23 अगस्त को इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी। ऐसा करने वाला भारत दुनिया के एलीट 4 देशों की सूची में शामिल हो गया था। इससे पहले यह कारनामा अमेरिका, रूस और चीन ने किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रह है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से भी पहले बन गया होगा। खास बात है कि साउथ पोल-एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर की तरफ से ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर के ढांचे के बारे में भी जानकारियां मिली हैं, जिससे चांद के बारे में कई अहम सुराग मिल सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रह है कि यह क्रेटर साउथ-पोल एटकिन बेसिन के बनने से भी पहले बन गया होगा। खास बात है कि साउथ पोल-एटकिन बेसिन चांद की सतह पर मौजूद सबसे बड़ा और पुराना इम्पैक्ट बेसिन है। प्रज्ञान रोवर की तरफ से ली गई तस्वीरों से इस प्राचीन क्रेटर के ढांचे के बारे में भी जानकारियां मिली हैं, जिससे चांद के बारे में कई अहम सुराग मिल सकते हैं।

खबर है कि क्रेटर समेत प्रज्ञान रोवर की तरफ से मिली जानकारियों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ा दिया है। इस क्रेटर की जानकारी चांद के शुरुआती इतिहास और इसकी सतह के बारे में हमारी समझ को नया आकार दे सकती है। चंद्रयान-3 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था। इसके बाद 23 अगस्त को इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी।

ऐसा करने वाला भारत दुनिया के एलीट 4 देशों की सूची में शामिल हो गया था। इससे पहले यह कारनामा अमेरिका, रूस और चीन ने किया था।

 

 

 

 

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